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इस बार धनतेरस पर क्या खरीदें और क्या नही

धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।  इसका शुद्ध  नाम धन त्रयोदशी है।  आम भाषा में हम इसे धनतेरस कहते है।  धनतेरस के दिन से ही दीपावली का पंचदिवसिए  पर्व शुरु होता है।  


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वैसे तो धन तेरस से पहले ही लोग त्यौहारो की खरीदारी शुरु कर देते है। 
लेकिन बहुत सी वस्तुएं इस दिन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।  इसलिये इस दिन बाजारों में विशेष चहल-पहल रहती है। 

आज इस लेख के द्वारा आप जानेंगे कि धनतेरस क्यों और कैसे मनाते है और इस दिन क्या-क्या खरीदना चाहिएं। 

धनतेरस क्यों मनाते है?

धनतेरस के दिन ही धनवंतरि जी प्रकट हुए थे। इसलिये इस दिन को धन तेरस के नाम से मनाया जाता है।

जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिये समुद्र मंथन किया था तब  बहुत सी वस्तुएं निकली यहाँ तक कि महा तीक्ष्ण विष भी निकल आया।  

भगवान शंकर ने उस तीक्ष्ण विष को पी कर उसके विषाक्त ताप से पृथ्वी को बचाया।   पर अमृत अभी तक नही निकला था।
समुद्र मंथन करते-करते  देवता और असुर थक गए थे।

तब वह मंथन छोड़ कर रुक गए।  पर  लगातार मंथन के कारण रुकने के बाद भी मंथन की प्रक्रिया स्वचालित रूप से हो रही थी।  

तभी सागर में से धनवंतरि जी प्रकट हुए उनके हाथों में अमृत कलश था।  इस प्रकार उनके प्राकट्य से  देवताओं और असुरों का परिश्रम  फलीभूत हुआ। 

धनवंतरि कौन थे? 

धनवंतरि देव आयुर्वेद के जनक माने जाते है।  इन्होने ही सारी औषधियों की रचना की।   इनकी पूजा से मनुष्य को आरोग्य का वरदान मिलता है। 

चरक और सुश्रुत जिन्हें देवताओं का वैद्य कहा जाता है वह धनवंतरि जी के ही शिष्य थे।  धनवंतरि जी को विष्णु जी का ही एक रूप भी माना जाता है।  

यह चतुर्भुजी देवता है।  इनके ऊपर के दोनो हाथो में शंख और चक्र विद्यमान है और नीचे के दाएं हाथ में औषध और बायें हाथ में  पीतल का  अमृत कलश है।  माना जाता है कि अमृत की रचना भी इन्होने ही की थी। 

जैन धर्म में धनतेरस

जैन धर्म में इसे ध्यान त्रयोदशी कहा जाता है।  जैन धर्म के प्रवर्तक स्वामी महावीर जी इसी दिन ध्यान योग में लीन हो गए थे और दीवाली के दिन वह निर्वाण को प्राप्त हुए थे। इसलिये जैन धर्म में भी यह पर्व मनाया जाता है। 

धनतेरस का पूजन कैसे करें?

धन त्रयोदशी की सन्ध्या को धनवंतरि जी का चित्र एक लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें।  

उन्हें भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता है इसलिये इनकी पूजा में भी पीले रंग को मह्त्व दिया जाता है।  

इन्हें हल्दी का तिलक लगायें।  

धनवंतरि जी की को पीले पुष्प अर्पित करें।  

दीपावली के पंच दिवसिए पर्व में नित्य सरसों के तेल के दिये ही जलते है। 

इसलिये धन तेरस को भी सरसों के तेल के दिये जलाएं तथा साथ में विष्णु जी लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा भी अवश्य करें।  

इस दिन भी खील बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है।  

धनवंतरि जी को पीले मिष्ठान का भोग भी लगायें।  

दियों को घर के बाहर सजा दें।  

एक दिया पूजा के स्थान पर ही रखें। 

धनतेरस को यम पूजा

धनतेरस के दिन यम पूजा का भी मह्त्व माना जाता है।   इस दिन रात्रि को सोने से पहले एक आटे का चौमुखा दिया जलाएं और यमराज जी का स्मरण कर के घर के बाहर दक्षिण दिशा में रख दें।

इसके पीछे यह तर्क हो सकता है कि  इस दिन हम औषधियों और आयुर्वेद के देवता धनवंतरि की पूजा करते है।  जो हमें आरोग्य प्रदान करते है।  

परंतु हमारे धर्म में यह मान्यता है कि जब किसी का जीवनकाल पूरा हो चुका है तो उसे कोई औषधि नही बचा सकती। 

इसलिये अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिये यमराज की भी पूजा का विधान बनाया गया।  केवल इसी दिन नही दीवाली के पांचो दिन एक दिया घर के बाहर  दक्षिण दिशा में रखा जाता है।

धनतेरस पर क्या खरीदें?

धनतेरस पर खरीदारी करना बहुत शुभ माना जाता है। इसलिये इस दिन ही लोग अधिकतर दीपावली की सारी खरीदारी कर लेते है।  

इस दिन जो भी नई वस्तु खरीदी हो, उसकी  पूजा करें और उसके बाद ही उसे प्रयोग करें।  यदि आप इस दिन देवी देवताओं की मूर्ति लाये हो तो इनकी भी धनवंतरि जी के साथ पूजा करें।

बर्तन : इस दिन  धनवंतरि जी पीतल का अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।  इसलिये इस दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।  

यदि आप इस दिन बर्तन खरीदते है तो पीतल, तांबा, काँसा आदि धातुओ के ही खरीदें। कुछ लोग बर्तन के स्थान पर धातु की अन्य वस्तुएं भी खरीदते है। 

चांदी : कुछ लोग सोने चांदी के बर्तन, मूर्तियाँ, सिक्के आदि भी खरीदते है। इस दिन चांदी खरीदना भी शुभ माना जाता है।  

क्योंकि चांदी चंद्र ग्रह से सम्बंधित धातु है और इसके प्रयोग से मन और मस्तिष्क को शान्ति मिलती है।

कुछ लोग इस दिन चांदी के लक्ष्मी गणेश भी घर लाते है और दीवाली को उन्ही की पूजा करते है।

झाडू : इस दिन झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है।  झाडू को लक्ष्मी माना जाता है।  क्योंकि लक्ष्मी वहीं वास करती है जहाँ साफ-सफाई हो।  

क्योंकि साफ-सफाई हम झाडू की सहायता से ही करते है, इसलिये झाडू को घर की लक्ष्मी माना जाता है।

मिट्टी की वस्तुएं: मिट्टी पूजा पाठ के कार्य में हर धातु से शुद्ध मानी जाती है।   मिट्टी के लक्ष्मी गणेश और मिट्टी के ही दियों से दीपावली का पूजन करना अति शुभ है। 
इसलिये धनतेरस के दिन मिट्टी के दिये और मिट्टी के लक्ष्मी गणेश खरीदें।

धनतेरस पर क्या नही खरीदे?

इस दिन लोहे की वस्तुएं न खरीदें।

स्टील और एलुमिनीयम की कोई वस्तु न खरीदें।  स्टील और एलुमिनीयम भी लोहे का ही रूप है।

कांच की वस्तुएं न खरीदें।

काले रंग की वस्तुएं न खरीदें। 

कांच राहु ग्रह के प्रभाव को बढाता है इसलिये इस शुभ दिन इसे घर में न लायें। 

काला रंग और लोहा शनि ग्रह के तत्व है।  इन्हें इस दिन घर में लाने से शनि भारी हो सकता है। 





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