भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिये सोमवार के दिन उनकी उपासना करने का विशेष मह्त्व है। सोमवार के व्रत तीन प्रकार होते है। प्रति सोमवार, सोम प्रदोष तथा सोलह सोमवार। इन सब में सोलह सोमवार के व्रतों का विशेष मह्त्व है। यह लगातार सोलह सोमवार तक रखें जाते है तथा सत्रहवें सोमवार को इनका उद्यापन कर दिया जाता है। यह किसी विशेष इच्छा या कार्य सिद्धि के लिये रखे जाते है। इन व्रतों का पालन करने से निश्चय ही कार्य सिद्ध हो जाता है। यह दूसरे सोमवारो के व्रतों से थोड़ा कठिन होते है। इस व्रत में सत्य भाषण, सदाचार, ब्रह्मचर्य, अहिंसा जैसे सद्गुणों का पालन करना अनिवार्य है। भूल से भी परनिंदा, क्रोध तथा किसी भी जीव को हानि नही पहुंचानी चाहियें। ऐसा होने पर व्रत भंग हो जाता है। यदि सभी नियमों का पालन किया जाए तभी व्यक्ति को इस व्रत का लाभ मिलता है। जब कोई व्यक्ति किसी ऐसी वस्तु की इच्छा से व्रत रखता है जो उसके भाग्य में ही नही है, तो वह स्वयं अनुभव करेगा कि व्रत भंग होनें की परिस्थितियाँ बार-बार उसके सामने आयेंगी तथा कई बार व्रत भंग भी हो जाते है। इसलिये इन व्रतों को करने के लिये स्वय
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