देवी पुराण में माँ आदि शक्ति के 51 शक्ति पीठो का उल्लेख मिलता है। जिनके नाम और स्थान इस लेख में दिये जा रहे है।
इन शक्ति पीठों के अलावा भी माँ के बहुत से मन्दिरों की गणना शक्ति पीठों में की जाती है। बहुत से मन्दिरों को लेकर हमारे देश में मान्यताओं में मतभेद भी पाए जाते है।
ईश्वर के स्वरूपों और उनकी महिमा की चर्चा करना किसी साधारण व्यक्ति के लिये सम्भव नही है। हम केवल अपनी बुद्धि की क्षमता के अनुसार ही इसका वर्णन कर सकते है।
शक्तिपीठो के बारे में एक पौराणिक कथा है। जो कि इस प्रकार है।
देवी माँ के शक्ति पीठों की कथा
भगवान शिव की पत्नी माता सती के पिता का नाम दक्ष था। राजा दक्ष ने एक बार यज्ञ का आयोजन किया। तथा सभी देव गणो को आमंत्रित किया।
परंतु भगवान शिव को आमंत्रित नही किया। माता सती को जब सूचना मिली कि उनके पिता यज्ञ कर रहे है तो उन्होने भगवान शिव से कहा कि मैं भी यज्ञ में जाना चाहती हूँ।
भगवान शिव ने उन्हें समझाया कि, हे देवी बिना निमन्त्रण कहीं जाने से आदर नही मिलता। परंतु माता सती ने कहा कि पिता के घर पुत्री को जाने के लिये निमन्त्रण की क्या आवश्यकता।
भगवान शिव ने उन्हें जाने की आज्ञा दे दी। माता सती दक्ष के घर पहुँची। वहाँ पहुँच कर उन्होने देखा कि भगवान शिव के विराजने के लिये लिये वहां कोई आसन नही था।
उन्होने अपने पिता से इस बात के लिये शिकायत की। दक्ष सती की बात सुनकर भगवान शिव के बारे में अपशब्द कहने लगे।
सती अपने पति का अपमान सहन नही कर सकी और वह यज्ञ कुंड में कूद गई तथा उन्होने अपना शरीर त्याग कर दिया।
भगवान शिव को जब इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्होने और उनके गणो ने दक्ष और उसकी सेना का सर्वनाश कर दिया।
उसके बाद भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को अपनी भुजाओं में उठा कर पूरे आकाश मार्ग में वैरागी की भांति घूमने लगे।
उनको इस दशा से उबारने के लिये भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिये। वह सभी टुकड़े धरती पर इधर-उधर बिखर गए।
जहाँ-जहाँ सती के शरीर के टुकड़े गिरे थे। वह सभी स्थान पूजनीय स्थल बन गए। तथा शक्ति पीठ कहे जाने लगे।
देवी माँ के 51 शक्ति पीठ
1. किरीट
यहां सती का मुकुट गिरा था। यहाँ की शक्ति का नाम विमला भुवनेशी तथा भैरव का नाम संवर्त है। यह मन्दिर पश्चिम बंगाल के बड नगर में गंगा किनारे स्थित है।2. वृंदावन
यहां सती के केश गिरे थे। यहां की शक्ति का नाम उमा तथा भैरव का नाम भूतेश है। यह उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन के बीच भूतेश्वर मन्दिर में स्थित है।3. करवीर
यहां सती का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति का नाम महिषमर्दिनी तथा भैरव का नाम क्रोधीश है। करवीर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है।4. श्री पर्वत
यहां सती के दाये पैर की पायल गिरी थी। यहां की शक्ति का नाम श्री सुंदरी तथा भैरव सुन्दरानंद है। इसके बारे में दो मान्यतायें है।कुछ लोग इस स्थान को लद्दाख में मानते है। तथा कुछ मान्यताओं के अनुसार यह आन्ध्र प्रदेश के सिलहट में है
5. मणिकर्णिका
यहां सती की कर्ण मणि गिरी थी। यहां की शक्ति का नाम विशालाक्षी तथा भैरव का नाम काल भैरव है। यह उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है।6. गोदावरी तट
यहां सती का वाम गंड अर्थात बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति का नाम विश्वेशी रुक्मिणी तथा भैरव का नाम दण्ड पाणि है। यह आन्ध्र प्रदेश में कोटि तीर्थ स्थान पर गोदावरी नदी के किनारे स्थित है।7. शुचि
यहां सती के ऊर्ध्व दंत अर्थात ऊपरी दांत गिरे थे। यहां की शक्ति का नाम नारायणी तथा भैरव संहार है। यह तमिलनाडू के शुचींद्रम में तीनो सागरों के संगम के पास स्थित है।8. पन्चसागर
यहां सती के अधो दंत अर्थात निचले दांत गिरे थे। यहां की शक्ति का नाम वाराही तथा भैरव का नाम महारुद्र है। इस पीठ के स्थान के बारे में कोई जानकारी नही है।9. ज्वालामुखी (ज्वाला देवी)
यहां सती की जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति का नाम सिद्धिदा तथा भैरव उन्मत्त है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में यह मन्दिर स्थित है।10. भैरव पर्वत
यहां सती का ऊर्ध्व ओष्ठ अर्थात ऊपरी होंठ गिरा था। यहां की शक्ति का नाम अवन्ती तथा भैरव लम्बकर्ण है।इसके बारे में दो मान्यतायें है। कुछ जानकारों के अनुसार यह पीठ गुजरात के गिरनार के पास स्थित भैरव पर्वत पर है तथा कुछ जानकारों के अनुसार यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के पास भैरव पर्वत पर है। दोनो ही स्थानो पर लोग माँ की पूजा करते है।
11. अट्टहास
यहां सती का अधरोष्ठ अर्थात निचला होंठ गिरा था। यहां की शक्ति का नाम फुल्लरा तथा भैरव का नाम विश्वेश है। यह पश्चिम बंगाल के वर्धमान, लाब पुर में स्थित है।12. जन स्थान
यहां सती की ठोडी गिरी थी। यहां की शक्ति भ्रामरी है और भैरव विकृताक्ष है। यह महाराष्ट्र के नासिक में पंचवटी स्थान में स्थित है।13. अमरनाथ
यहां सती का कंठ गिरा था। यहां की शक्ति का नाम महामाया तथा भैरव त्रिसन्ध्येश्वर है। यह पीठ कश्मीर में अमरनाथ की गुफा में ही स्थित है।14. नंदीपुर
यहां सती का कंठ हार गिरा था। यहां की शक्ति नन्दिनी तथा भैरव नंदीकेश्वर है। यह पश्चिम बंगाल के सैन्यथा स्टेशन के पास नंदीपुर में स्थित है।15. श्री शैल
यहां सती की ग्रीवा गिरी थी। यहां की शक्ति महालक्ष्मी तथा भैरव सर्वानंद है। यह आन्ध्र प्रदेश में श्री शैलम नामक तीर्थ में स्थित है।16. नलहटी
यहां सती की उदर नलिका गिरी थी। यहां की शक्ति का नाम कालिका तथा भैरव योगीश है। यह पश्चिम बंगाल में नलहटी रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। कुछ मान्यताओं के अनुसार यहाँ माता सती के नेत्र गिरे थे। इसलिये यहाँ की देवी को नयन तारा भी कहते है। इस पीठ का नाम तारा पीठ है।17. मिथिला
यहां सती का वाम स्कन्ध अर्थात बायां कन्धा गिरा था। यहां की शक्ति का नाम उमा महादेवी तथा भैरव महोदर है। यह भारत नेपाल की सीमा पर जनकपुर में स्थित है।18. रत्नावली
यहां सती का दक्षिण स्कन्ध अर्थात बायां कन्धा गिरा था। यहां की शक्ति का नाम कुमारी तथा भैरव शिव है। देवी पुराण के अनुसार यह पीठ मद्रास के पास होना चाहिये। लेकिन इसका सही स्थान अज्ञात है।कुछ मान्यताओं के अनुसार यह पश्चिम बंगाल के कृष्णा नगर में रत्नाकर नदी के किनारे स्थित है।
19. प्रभास
यहां सती का उदर गिरा था। यहां की शक्ति चंद्रभागा और भैरव वक्रतुंड है। प्रभास गुजरात के गिरनार पर्वत के प्रथम शिखर पर है।20. जालंधर
यहां सती का वाम वक्ष गिरा था। यहां की शक्ति त्रिपुर मालिनी तथा भैरव भीषण है। यह पंजाब के जालंधर में स्थित है।21. रामगिरि
यहां सती का दाहिना वक्ष गिरा था। यहां की शक्ति शिवानी और भैरव चंड है।कुछ मान्यताओं के अनुसार यह मध्य प्रदेश के चित्रकूट में स्थित है तथा कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार यह मध्य प्रदेश के मैहर नामक स्थान पर स्थित है।
22. वैद्यनाथ
यहां सती का हृदय गिरा था। यहां की शक्ति का नाम जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ है। यह बिहार के गिरडीह जनपद में स्थित है।23. वक्त्रेश्वर
यहां सती का मन गिरा था। यहां की शक्ति महिष मर्दिनी तथा भैरव वक्त्रनाथ है। यह पश्चिम बंगाल के सैन्यथा जंक्शन के पास स्थित है।24. कन्यकाश्रम
यहां सती की पीठ गिरी थी। यहां की शक्ति शर्वाणि तथा भैरव निमिष है। यह तमिलनाडू में तीनो सागरों के संगम पर स्थित है।25. बहुला
यहां सती की बाई भुजा गिरी थी। यहां की शक्ति बहुला तथा भैरव भीरुक है। यह मन्दिर पश्चिम बंगाल के जिला कटवा, केतुग्राम नामक गाँव में स्थित है।26. उज्जयिनी
यहां सती की कोहनी गिरी थी। यहां की शक्ति मंगल चन्डिका तथा भैरव मांगल्य कपिलाम्बर है। यह मन्दिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है।27. मणिवेदिक
यहां सती की कलाईयां गिरी थी। यहां की शक्ति गायत्री तथा भैरव शर्वानंद है। यह राजस्थान के अजमेर, पुष्कर में गायत्री पर्वत पर स्थित है।28. प्रयाग
यहां सती के हाथ की अंगुली गिरी थी। यहां की शक्ति ललिता तथा भैरव भव है। यह पीठ उत्तर प्रदेश के प्रयाग राज में संगम के किनारे पर स्थित है।29. विरजा
यहां सती की नाभि गिरी थी। यहां की शक्ति विमला और भैरव जगन्नाथ है। कुछ मान्यताओं के अनुसार यह मन्दिर उड़ीसा के उत्कल क्षेत्र में स्थित है।कुछ मान्यताओं के अनुसार में जगन्नाथ पुरि में विरजा देवी का मन्दिर ही विरजा पीठ है।
30. कांची
यहां सती की अस्थियां गिरी थी। यहां की शक्ति देव गर्भा तथा भैरव रुरु है। यह मन्दिर तमिलनाडू के कान्चीवरम में स्थित है।31. कालमाधव
यहां सती का बायां नितंब गिरा था। यहां की शक्ति काली तथा भैरव असितांग है। देवी पुराण के अनुसार इस पीठ का सही स्थान अज्ञात है। परन्तु कुछ मान्यताओं के अनुसार इसे मध्य प्रदेश के अमरकंटक में स्थित माना जाता है।32. शोण
यहां सती का दाहिना नितंब गिरा था। यहां की शक्ति नर्मदा शोणाक्षी तथा भैरव भद्रसैन है। यह मन्दिर भी मध्य प्रदेश के शोन्देश में स्थित है। यह नर्मदा के तट पर है।33. कामगिरि (कामाख्या)
यहां सती की योनि गिरी थी। यहां की शक्ति कामाख्या है तथा भैरव उमानाथ है। यह मन्दिर असम प्रांत के गुवाहटी में कामगिरी पर्वत पर ब्रह्म पुत्र के किनारे स्थित है।34. जयंती
यहां सती की बाईं जंघा गिरी थी। यहां की शक्ति जयंती तथा भैरव क्रमदीश्वर है। यह मेघालय के वाउरभाग गाँव में जयन्तिया पर्वत पर स्थित है।35. मगध
यहां सती की दाहिनी जंघा गिरी थी। यहां की शक्ति सर्वानंदकरी तथा भैरव व्योमकेश है। यह बिहार की राजधानी पटना में स्थित है।36. त्रिस्त्रोता
यहां सती का वाम पाद अर्थात बायां चरण गिरा था। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव ईश्वर है। यह मन्दिर पश्चिम बंगाल में जिला जलपाईगुड़ी, शालवाड़ी गाँव में तीस्ता नदी के तट पर स्थित है।37. त्रिपुरा
यहां सती का दक्षिण पाद अर्थात दाहिना चरण गिरा था। यहां की शक्ति त्रिपुर सुंदरी तथा भैरव त्रिपुरेश है। यह मन्दिर त्रिपुरा में राधाकिशोरपुर गाँव के पास स्थित है।38. विभाष
यहां सती का बायां टखना गिरा था। यहां की शक्ति कपालिनी भीमरूपा तथा भैरव सर्वानंद है। यह पश्चिम बंगाल के मेदिनी पुर जिले में रूप नारायण नदी के तट पर स्थित है।39. कुरुक्षेत्र
यहां सती का दायां टखना गिरा था। यहां की शक्ति सावित्री तथा भैरव स्थाणु है। यह हरियाणा के कुरुक्षेत्र में द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है।40. युगाद्या
यहां सती का दाये पैर का अंगूठा गिरा था। यहां की शक्ति भूतधात्रा तथा भैरव क्षीरकण्टक है। यह पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिला, खीर गाँव में स्थित है।41. विराट
यहां सती के दाएं पैर की अंगुलियाँ गिरी थी। यहां की शक्ति अम्बिका तथा भैरव अमृत है। यह राजस्थान के विराट पुर में स्थित है।42. काली पीठ
यहां सती के बायें पैर की अंगुलियाँ गिरी थी। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव नकुलीश है। यह पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता के काली घाट पर स्थित है।43. मानस
यहां सती की दाहिनी हथेली गिरी थी। यहां की शक्ति दाक्षायणी तथा भैरव अमर है।यह मन्दिर कैलाश पर्वत के मानस खण्ड में स्थित है। कैलाश के साथ ही मानसरोवर तीर्थ है। इसी क्षेत्र को मानस खण्ड कहते है।
Comments
Post a Comment